नज़रिन चलिए आज हम इस पोस्ट में हमारे कुछ नौज़वान भाइयो और बहनों के कुछ सवालों का जवाब देते हुए गुस्ल और वज़ू के टॉपिक को पूरा करते हैं। हमारे कुछ भाई इस्लामिक मालूमात ना होने की वजह से गुस्ल और वज़ू के दरमियाँ इस कदर परेशान और हतास हैं की उन्हें इस्लाम बहुत ही शख्त नियम और कायदो से बँधा हुआ लगता हैं या फिर उन्हें कुछ दीन के अलीम इस कदर एहतियाद करने का पहाड़ा पढ़ा देते हैं की बंदा खुद में इस कदर उलझ जाता हैं की उसे सहीं और गलत का अंदाजा भी नहीं लग पाता की वो क्या सहीं कर रहा हैं और क्या गलत। सच तो ये हैं की इस्लाम जितना शख्त और उसूलो से भरा हुआ दिखता हैं उतना हैं नहीं इस्लाम में बहुत सी चीज़ो में हमें बहुत छूट दी गई हैं बहुत सारी चीज़ो हो हम पर आसान किया गया हैं और लाजमी हैं की इस्लाम बहुत आसान और सरल नियमों को लेकर चलता हैं बस हमारी नासमझियो की वजह से हमारे कुछ भाइयो और बहनों को ये बहुत ही कठिन लगता हैं। बिना कपड़ों के नहाने से गुस्ल और वज़ू होता है या नहीं? चलिए पहले जानते हैं कि ग़ुस्ल क्या है? ग़ुस्ल एक अरबी शब्द है जिसका मतलब पूरे शरीर को नहलाना अर्थात स्नान देना होता है।