Skip to main content

बिना कपड़ों के नहाने से गुस्ल और वज़ू होता है या नहीं?

नज़रिन चलिए आज हम इस पोस्ट में हमारे कुछ नौज़वान भाइयो और बहनों के कुछ सवालों का जवाब देते हुए गुस्ल और वज़ू के टॉपिक को पूरा करते हैं। हमारे कुछ भाई इस्लामिक मालूमात ना होने की वजह से गुस्ल और वज़ू के दरमियाँ इस कदर परेशान और हतास हैं की उन्हें इस्लाम बहुत ही शख्त नियम और कायदो से बँधा हुआ लगता हैं या फिर उन्हें कुछ दीन के अलीम इस कदर एहतियाद करने का पहाड़ा पढ़ा देते हैं की बंदा खुद में इस कदर उलझ जाता हैं की उसे सहीं और गलत का अंदाजा भी नहीं लग पाता की वो क्या सहीं कर रहा हैं और क्या गलत। 
सच तो ये हैं की इस्लाम जितना शख्त और उसूलो से भरा हुआ दिखता हैं उतना हैं नहीं इस्लाम में बहुत सी चीज़ो में हमें बहुत छूट दी गई हैं बहुत सारी चीज़ो हो हम पर आसान किया गया हैं और लाजमी हैं की इस्लाम बहुत आसान और सरल नियमों को लेकर चलता हैं बस हमारी नासमझियो की वजह से हमारे कुछ भाइयो और बहनों को ये बहुत ही कठिन लगता हैं। 
http://sarkareummati.blogspot.com/2020/05/blog-post_26.html
बिना कपड़ों के नहाने से गुस्ल और वज़ू होता है या नहीं?

 चलिए पहले जानते हैं कि ग़ुस्ल क्या है?
 ग़ुस्ल एक अरबी शब्द है जिसका मतलब पूरे शरीर को नहलाना अर्थात स्नान देना होता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी 
पाकीज़गी( पवित्रता या शुद्धता ) खो चुका है तो इस्लाम में उसे नमाज और दूसरे इस्लामिक कामों से पहले ग़ुस्ल करना जरूरी होता है। गुस्ल हर उस इंसान पर वाजिब है जो कि-
  •  प्राकृतिक मौत या अन्य किसी तरह से मर गया हो
  •  यौन संबंध या हमबिस्तरी कर चुका हो 
  •  जिस लड़की या महिला का मासिक धर्म पूरा हो चुका हो
  •  वीर्य या मानी निकल जाने पर चाहे (वहां जानबूझकर हो या अनजाने पर) गुस्ल वाजिब हो जाता है
 चलिए अब जानते हैं की वज़ू क्या है? 
 वजू एक अरबी शब्द हैं। वजू शरीर के भागों को धोने के लिए एक इस्लामिक प्रक्रिया है यहां छोटी मोटी नापाकी से पाक होने (शुद्धिकरण) का धार्मिक तरीका है। वजू की इस प्रक्रिया में हाथ,  मुंह,  नाक,  बाजू,  सिर और पाव को धोना शामिल होता है। इस्लाम में ग़ुस्ल की तरह वजू करना भी और बावजू रहना भी बहुत महत्त्व रखता है। इस्लाम में किसी भी व्यक्ति को धार्मिक कामों जैसे कि नमाज पढ़ना,  फातेहा देना,  कुरान पढ़ना और अन्य किसी कामों में शामिल होने से पहले वजू करना बहुत जरूरी है। गुस्ल के ठीक विपरीत वजू में यदि कोई व्यक्ति पहले से पाक(शुद्धया) हो तो उसे किसी भी धार्मिक कामों(जैसे कि नमाज पढ़ना,  फातेहा देना,  कुरान पढ़ना)को करने से पहले वजू करना जरूरी होता है। वजू वाज़िब होता है-
  •  पेशाब या शौचालय हो जाने पर
  •  पाद निकल जाने पर
  •  गहरी नींद सो जाने पर 
  •  शरीर के किसी अंग से खून या पिप निकल आने पर वजू करना वाजिब हो जाता है। 
चलिए अब हम अपने पहले सवाल पर आते हैं कि 
बिना कपड़ों के नहाने से ग़ुस्ल और वजू होता है या नहीं? 
सबसे पहले मेरे प्यारे दोस्तों ये बात आप अपने दिल-o-दिमाग़ से निकल दो की आप अगर बिना कपड़ो के नहाते हो तो आपका ग़ुस्ल या वजू नहीं होंगा। ग़ुस्ल हमेशा बिना कपड़ो के ही किया जाता हैं और बिना कपड़ो के नाहने से पुरे जिस्म के हिस्से में पानी अच्छी तरह से लग जाता हैं। जिससे गुस्ल अच्छी तरह से पूरा हो जाता हैं। अगर आप जिस जगह नहा रहे है चार दीवारों का पर्दा आप कर रहे है तो उस सूरत में आपको ग़ुस्ल के लिए किसी भी तरह का बदन में कपड़ा रखने की जरूरत नहीं है पर अगरचे आप किसी खुली जगह पर नाहा रहे हो या आपको मज़बूरन ऐसी जगह पर नहाना पड़ रहा हो तो आपको सब से पर्दा करना लाजमी हैं और ऐसी सूरत में आपका ग़ुस्ल बिना कपड़ो के नहीं होंगा ना ही आपका गुसल के साथ वज़ू होंगा। वजू के लिए भी यही बाते हैं अगर आप चार दीवारों में हो तो खुद से ख़ुद का पर्दा जरुरी नहीं आपके गुसल करने से भी वजू  के सारे फ़ज़ाइल पुरे अदा हो जाते हैं। लिहाज़ा ऐसी कोई शर्त नहीं की ग़ुस्ल के लिए बदन में कपड़ा रखना जरुरी हैं, बिना कपड़ो के नाहने से भी ग़ुस्ल और वज़ू दोनों हो जाते हैं। 


Comments

Popular posts from this blog

रोजी में बरकत के लिए क्या करें। रोज़ी में बरकत का वज़ीफ़ा। रोज़ी में बरकत की दुआ ।

रोजी में बरकत के लिए क्या करें? रोजी में बरकत के लिए क्या करें? क्या आपको रोजी में बरकत की कमी ने परेशान कर रखा है?  क्या आप रिस्क और रोज़ी की तंगी से परेशान हाल है? रोज़ी में बरकत की दुआ-ऐ-फरमानी रोजी में बरकत का एक ऐसा आसान और असरदार अमल हैं जिस की फजीलत से अल्लाह ताला आपको आपकी रोजी में बेशुमार बरकत अता फरमाएगा।  चलिए पहले जानते हैं कि रोज़ी में तंगी किस वजह से आती है!! rozi me barkat ki dua rozi me barkat ka wazifa rozi me barkat k liye dua rozi me barkat ki dua hindi rozi me barkat ke liye surah rozi me barkat ke liye rozi me barkat ka taweez rozi me barkat ki tasbeeh   रोज़ी में तंगी आने की वजह- आज कल अक्सर दीनदार लोगों को तंगी गरीबी और कर्जदारई की शिकायत है और रोजी की फिकर मे परेशान है। झूठ वा हराम से कमाने वाले तो आज बड़े आराम से सुकून की जिंदगी गुजार रहे हैं, लेकिन सच्चाई और हलाल तरीके से कमाने वाले तंगी में रहते हैं जैसे की हर वक्त उनको यह उलझन और हैरानी होती है कि अल्लाह ताला ने हर जानदार चीज के रिक्स की जिम्मेदारी ले रखी है तो फिर यह तंगी क्यों? क्यूँकि रिक्स और रोज़ी का मसला बड

कैसे जाने की अल्लाह आप से खुश हैं??

कैसे जाने की अल्लाह आप से खुश हैं? कैसे जाने की अल्लाह आप से खुश हैं? आप के दिल-o-दिमाग मे कभी ना कभी ये सवाल तो आता ही होगा, कि मैं कैसे जानू की मेरा रब मुझसे खुश हैं भी या नहीं? क्या मेरी नेकीयो को मेरा रब कुबूल कर भी रहा है या नहीं? हम आपको इस पोस्ट में बताऐगे की आप कैसे ये पता कर सकते हैं कि आपकी नेकीयो को, आपकी नमाजो को और आपकी पाबंदियो को अल्लाह-ताला कुबूल कर भी रहा है या नहीं। जब अल्लाह आप से खुश होता है तो आप के जिस्म मे आप को कुछ निशानीया आप को दिखने लगती हैं । जब अल्लाह अपने बंदे से खुश होता है तो उस शख्स के चहरे मे एक अजीब तरह का नूर और कुछ अलग ही तरह की चमक दिखने लगती हैं, उसके दिल और दिमाग मे सुकून और उसके सीने मे ठंडाक उसे मेहसुस होने लगती है । उसे दुनिया से बढ़कर नमाज रोजे की फिक्र संतानें लगती है । कैसे जाने की अल्लाह आप से खुश हैं? "हज़रत अबदुल्लाह इब्ने  अब्बास फरमाते हैं " जब नेकिया कुबूल हो जाती है तो इन्सान के जिस्म में  पांच निशानी दिखने लगती है  1.  जब अल्लाह अपने बंदों से खूश होता है तब वो अपने बंदों के चेहरे इस तरह का नूर लाता है कि वो शख्स हमेशा खुश