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जिस परफ्यूम में अल्कोहल हो उसे लगाने से नमाज़ होंगी या नहीं।

जिस परफ्यूम में अल्कोहल हो उसे लगाने से नमाज़ होंगी या नहीं। जिस परफ्यूम में अल्कोहल हो उसे लगाने से नमाज़ होंगी या नहीं। मेरे प्यारे दोस्तो और मेरे भाइयों मै आज इस पोस्ट में हमारे नवजवान भाइयों के कुछ सवालों का जवाब दूंगा। मुझसे मेरे कुछ प्यारे दोस्तो ने पूछा कि क्या अगर हम deo या कोई परफ्यूम लगा ले जिस में अल्कोहल मिला हो और हमने उसमे नमाज़ पढ़ ली तो क्या हमारी नमाज़ हो जाएंगी या हमारी नमाज़ परफ्यूम में अल्कोहल होने की वजह से नहीं होंगी। खुशबू के तालुक से कई सवाल आते है और कई लोग इसमें गुमराह भी हो जाते है। हमारे भाइयों ने अलग अलग हाफ़िज़ और अलिमो से इस मसले में सवाल पूछे, सब को अलग अलग जवाब मिलता गया जैसे - अगर खुशबू या perfum में अल्कोहल हो तो वैसे भी २घंटो में वह उड़ जाता है फिर नमाज़ हो सकती है, या खुशबू जाने के बाद गूसाल वाजिब हो जाता है तो गुसाल कर के नमाज़ पड़ी जा सकती है। कुछ ने कहा शराब तो हराम है और आप ने उसे अपने जिस्म में मर लिया आपकी तो नमाज़ ही नहीं हो सकती। इस तरह अलग अलग लोगो को अलग अलग राए मिलती चली गई, और इन सब के बीच हमारे इस्लामिक भाई को मुसलसल इसका सही जवाब नहीं
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क्या इस्लाम में मेकअप, फेशियल, वैक्सिंग जायज़ है?

क्या इस्लाम में मेकअप, फेशियल, वैक्सिंग जायज़ है? क्या इस्लाम में मेकअप, फेशियल, वैक्सिंग जायज़ है? मेकअप (makeup)- एक औरत अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए मेकअप कर सकती है लेकिन यह मेकअप वह अपने शौहर के लिए करें, मेकअप करके औरतें मार्केट तो जा सकती है लेकिन ना महरम मर्दों की उस पर नजर नहीं पड़ना चाहिए वरना मर्द उससे अट्रैक्ट होंगे और वह गुनहगार होगी मेकअप में वह केमिकल यूज किए जाए जिसमें pig fat ना हो, कोशिश करें कि जितना ज्यादा हो सके घर की बनी चीजें इस्तेमाल करें ताकि आगे चलकर चेहरे को नुकसान ना हो । ज्यादा से ज्यादा चेहरे पर शहद का इस्तेमाल करें क्योंकि कुरान में आया है कि शहद में अल्लाह ने शीफा रखी है रोज एक घंटा शहद में नींबू मिलाकर लगाने से चेहरा अंदर से glow करेगा और कोई क्रीम लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी ।अगर पिंपल हो तो शहद में थोड़ा सा दालचीनी पाउडर मिलाकर लगाएं उससे पिंपल खत्म हो जाएंगे, चेहरे के बाल निकालने के लिए थोड़े gelatin पाउडर में थोड़ा सा दूध मिलाकर 2 सेकंड के लिए माइक्रोवेव ओवन में रखे थोड़ा सा गर्म होने पर पूरे चेहरे पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें फिर निकाल दे सारे बा

Belly fat | पेट की चर्बी कैसे कम करें।

Belly fat | पेट की चर्बी कैसे कम करें। Belly fat | पेट की चर्बी कैसे कम करें। मेरे प्यारे दोस्तो आज की पोस्ट में हम आपको हमारी कुछ प्यारी बहनों और भाइयों के हैल्थ से जुड़े कुछ सवाल का जवाब देंगे। आज कल हमारे मुस्लिम और नॉन मुस्लिम भाई belly fat यानी कि पेट की चर्बी को कैसे कम करे ये सवाल हम से ज्यादा पूछ रहे है लिहाज जब इस टॉपिक में सवालों में इजाफा होने लगा तो हमे लगा इस पर भी एक पोस्ट कर दी जाए।। पेट और कमर में जमा जरूरत से ज्यादा चर्बी परेशानी का सबब बन सकती है,और आप सब को जैसे कि पाता ही है कि पेट ही आधे से ज्यादा बीमारियों का घर है लिहाजा हमे खुद को फिट एंड फाइन रखने के लिए इसके लिए कुछ एक्सरसाइज तो करनी ही होगी।                         पेट और कमर में चर्बी का बढ़ना ना सिर्फ देखने में खराब लगता है बल्कि पेट में जरूरत से ज्यादा चर्बी शुगर,बीपी, थायराइड और कई खतरनाक बीमारियों का कारण भी बन सकती है। इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बताएंगे की पेट की चर्बी  यानी की belly fat को कैसे घटाएं। इसके लिए हम कुुछ एक्सरसाइज और कुछ ख़ास डाइट भी बताऐगे जो पेट की चर्बी को कम करने में मददगार साबित ह

tiktok में मुस्लिम बच्चे ही बना रहे नमाजो का मज़ाक।।

अस्सलामुअलैकुम दोस्तो आज मै आपसे कुछ बातों को शेयर करना चाहता हूं, मेरे प्यारे दोस्तो हमारी नमाज़ हमारे इस्लाम के 5 आर्काम में से एक है सब से पहले कलमा- "  ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि "   है। इसके बाद सबसे पहले नमाज़ का नंबर आता है। एक बात याद रखे दोस्तो अगर कोई शख्स नमाज़ का एक बार भी मज़ाक बनता है या इसके बारे में उल्टा सीखा बोलता है तो वो इंसान उसी वक़्त काफिर हो जाता हैं।आप जहां चाहे जिस किताब में चाहे पढ़ सकते है कि नमाज़ का मज़ाक उड़ाना कैसा है। नमाज़ का मज़ाक उड़ाना कुफ्र है ऐसा करने वाला काफिर हो जाता है और वो अपनी दुनिया और अखिरात दोनों बिगाड लेता है।  tiktok में मुस्लिम बच्चे ही बना रहे नमाजो का मज़ाक tiktok में मुस्लिम बच्चे ही बना रहे नमाजो का मज़ाक , आप या मैं अगर आज इन मसलों में आवाज़ ना उठाएंगे या इन सब चीजों को वक़्त रहते ना रोकेंगे तो हमारा दीन हमारा इस्लाम मज़ाक बन कर रह जाएगा। आज इतनी तकलीफ हो रही है इस बात को देखते हुए की हमारे ही कौम के हमारे ही इस्लाम के बच्चे tiktok में हमारे मजहब का, हमारी नमाजो का मज़ाक बना रहे हैं, महेज चंद कुछ लाइक और फॉ

बिना कपड़ों के नहाने से गुस्ल और वज़ू होता है या नहीं?

नज़रिन चलिए आज हम इस पोस्ट में हमारे कुछ नौज़वान भाइयो और बहनों के कुछ सवालों का जवाब देते हुए गुस्ल और वज़ू के टॉपिक को पूरा करते हैं। हमारे कुछ भाई इस्लामिक मालूमात ना होने की वजह से गुस्ल और वज़ू के दरमियाँ इस कदर परेशान और हतास हैं की उन्हें इस्लाम बहुत ही शख्त नियम और कायदो से बँधा हुआ लगता हैं या फिर उन्हें कुछ दीन के अलीम इस कदर एहतियाद करने का पहाड़ा पढ़ा देते हैं की बंदा खुद में इस कदर उलझ जाता हैं की उसे सहीं और गलत का अंदाजा भी नहीं लग पाता की वो क्या सहीं कर रहा हैं और क्या गलत।  सच तो ये हैं की इस्लाम जितना शख्त और उसूलो से भरा हुआ दिखता हैं उतना हैं नहीं इस्लाम में बहुत सी चीज़ो में हमें बहुत छूट दी गई हैं बहुत सारी चीज़ो हो हम पर आसान किया गया हैं और लाजमी हैं की इस्लाम बहुत आसान और सरल नियमों को लेकर चलता हैं बस हमारी नासमझियो की वजह से हमारे कुछ भाइयो और बहनों को ये बहुत ही कठिन लगता हैं।  बिना कपड़ों के नहाने से गुस्ल और वज़ू होता है या नहीं?  चलिए पहले जानते हैं कि ग़ुस्ल क्या है?  ग़ुस्ल  एक अरबी शब्द है जिसका मतलब पूरे शरीर को नहलाना अर्थात स्नान देना होता है।

Eid kya hai? Eid kyun banai jati hai। ईद क्या हैं? ईद क्यों बनाई जाती है?

Eid kya hai? Eid kyun banai jati hai?  ईद क्या हैं? ईद क्यों बनाई जाती है? Eid kya hai? Eid kyun banai jati hai?  ईद क्या हैं? ईद क्यों बनाई जाती है?  हर सच्चे मुसलमान को ईद का दिल से बहुत इंतजार होता है, खास कर रमजान के बाद आने वाली ईद उल फितर का तो कुछ ज्यादा ही, क्योंकि एक महीना पूरा रोजा रखने की बाद  उन्हें अल्लाह का शुक्र करने के लिए एक त्योहार ईद मिलता है  जो हर मुस्लिम सच्चे दिल से बहुत खुशी से बनाता है।   चलिए पहले जानते हैं कि ईद क्या है?   ईद /ईद-उल-फितर- मुसलमान रमजान उल-मुबारक केेेेेेेे महीनेे के बाद एक मजहबी खुशी का त्यौहार बनाते हैं जिसे ईद उल फितर कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रमम को मनाया जाता है। ईद इस्लामिक कैलेंडर के दसवें महीने और शवाल के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के सभी महीनों की तरह यह भी चांद दिखनेेेे पर बनाया जाता है। ईद का त्यौहार मोहब्बतों से भरा और भाईचारेे को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है। रमजान के बाद और ईद से पहले मुसलमान जरूरतमंदों और गरीबों के लिए एक मुश्त रकम निकालतेे है, जिसे " जकात" कहते हैं। इस त्यौहार में सभी बड़े छो

रोजी में बरकत के लिए क्या करें। रोज़ी में बरकत का वज़ीफ़ा। रोज़ी में बरकत की दुआ ।

रोजी में बरकत के लिए क्या करें? रोजी में बरकत के लिए क्या करें? क्या आपको रोजी में बरकत की कमी ने परेशान कर रखा है?  क्या आप रिस्क और रोज़ी की तंगी से परेशान हाल है? रोज़ी में बरकत की दुआ-ऐ-फरमानी रोजी में बरकत का एक ऐसा आसान और असरदार अमल हैं जिस की फजीलत से अल्लाह ताला आपको आपकी रोजी में बेशुमार बरकत अता फरमाएगा।  चलिए पहले जानते हैं कि रोज़ी में तंगी किस वजह से आती है!! rozi me barkat ki dua rozi me barkat ka wazifa rozi me barkat k liye dua rozi me barkat ki dua hindi rozi me barkat ke liye surah rozi me barkat ke liye rozi me barkat ka taweez rozi me barkat ki tasbeeh   रोज़ी में तंगी आने की वजह- आज कल अक्सर दीनदार लोगों को तंगी गरीबी और कर्जदारई की शिकायत है और रोजी की फिकर मे परेशान है। झूठ वा हराम से कमाने वाले तो आज बड़े आराम से सुकून की जिंदगी गुजार रहे हैं, लेकिन सच्चाई और हलाल तरीके से कमाने वाले तंगी में रहते हैं जैसे की हर वक्त उनको यह उलझन और हैरानी होती है कि अल्लाह ताला ने हर जानदार चीज के रिक्स की जिम्मेदारी ले रखी है तो फिर यह तंगी क्यों? क्यूँकि रिक्स और रोज़ी का मसला बड

रमजान क्या है ? मुस्लिम इसे क्यों मानते हैं ।

रमजान क्या है ? रमजान क्या है ? मुस्लिम इसे क्यों मानते हैं । रमजान या रमदान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता मुस्लिम समुदाय इस महीने को बहुत पाक मानते हैं । रमजान शब्द अरब से निकला है अर्थात ये एक अरेबिक शब्द है जिसका अर्थ है "चिलचिलाती गर्मी वह सूखापन" । रमजान क्यों मनाया जाता है ?  इस्लाम धर्म की मान्यताओ के मुताबिक़ रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण एवं संयम रखने का महीना होता है । रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के द्वारा रोजा रखने का मुख्य कारण है 'गरीबों का दर्द समझना' इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने में रोजा रखकर दुनिया में रह रहे गरीब उनके दुख दर्द को महसूस किया जाता है।  रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है की आंख मुंह नाक को नियंत्रन मे रखा जाना क्योंकि रोजे के दौरान बुरा ना सुनना बुरा ना बोलना बुरा ना देखना और ना ही बुरा एहसास किया जाता है इस तरह से रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ बुरी आदत को छोड़ने और आत्मा संयम रखना सिखाता है।  रमजान का महत्व क्या है?  मुस्लिम सामुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए रमजान का महीना स

शब-ऐ-कद्र क्या है और इसका महत्व क्या है मुसलमान इसे क्यों बनाते हैं?

   शब-ऐ-कद्र क्या है और इसका महत्व क्या है?मुसलमान इसे क्यों बनाते हैं? शब-ऐ-कद्र क्या है और इसका महत्व क्या है?मुसलमान इसे क्यों बनाते हैं?  शबे कद्र क्या है इसका महत्व क्या है मुस्लिम इसे क्यों मनाते हैं? चलिए हम आपको इस पोस्ट में शब-ऐ-कद्र और इसकी फजीलत के बारे में बताते हैं।   मुसलमान हर साल रमजान के पाक महीने में शब-ऐ-कद्र मनाते हैं, शब-ऐ-कद्र को और लैलातुल कद्र भी कहा जाता है। शब-ऐ-कद्र इस्लाम में सबसे पवित्र रातों में से एक रात है। शबे कद्र की कोई निश्चित तारीख नहीं है, शबे कद्र इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान के आखिरी 10 दिनों की विषम संख्या वाली रातो जैसे कि 21, 23, 25, 27 और 29 में पड़ती है। शबे कद्र इन रातों में से एक रात होती है लिहाजा मुसलमान शबे कद्र की फजीलत हासिल करने के लिए इन रातों में पूरी रात इबादत करते हैं। इन रातों में विशेष नमाज और दुआएं पढ़ी जाती है।   शब-ऐ-कद्र मे कुरान नाजिल हुआ- शबे कद्र की रात में ही दुनिया में पहली बार कुरान शरीफ को नाजिल(लाया) किया गया। अल्लाह ताला कुरान शरीफ में फरमाता है "शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर है इस रात की इबादत का सवाब 83

छे: इस्लामिक कलमे और उनका हिन्दी में तर्जुमा ।

छे: कलमे और उनका हिन्दी में तर्जुमा- छे: कलमे और उनका हिन्दी में तर्जुमा आइए जानते हैं छे: कलमे और उनका तर्जुमा नाजरीन हम सब जानते हैं कि इस्लाम में कलमो की क्या अहमियत है और उनकी क्या फजीलत है हम यह सब भी जानते हैं की मोमिन को मौत के वक्त कलमा तैयब पढ़ाया जाता है । तो आइए जानते हैं उसके क्या फायदे हैं ।  1 .पहला कलमा तय्यिब " ला इलाहा इलल्ला मोहम्मदुर रसुल अल्लाह" तर्जुमा  अल्लाह ताला के अलावा और कोई इबादत के लायक नहीं है। और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । नाजरीन हम आपको बताना चाहेंगे कि जो शख्स मौत के वक्त कलमाय तैयब पड़ता है उसे आला से आला जन्नत में मकाम नसीब होता है इस तरह उसके लिए जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं 2.दुसरा कलमा शहादत  " अशहादु अल्लाईल्लाह इलल्लाहु वशदु अन्ना मोहम्मदन अबदहु वा रसुल अल्लाह" तर्जुमा ‌ मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अलावा कोई माबूद नहीं और गवाही देता हूं कि मुहम्मद सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम अल्लाह के बंदे और उसके रसूल है। 3.तीसरा कलमा तमजीद "सुभानल्लाही वलहमदु लिल्लाहिल व लाइला इल्लल्लाहु वल्लाहु अक

अज़ान का मतलब और अजान की फजीलत क्या है?? अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ?

¤ अज़ान का मतलब और अजान की फजीलत ¤ अज़ान का मतलब और अजान की फजीलत क्या आपको पता है, अज़ान का मतलब और अजान का जवाब देने की फजीलत क्या है ?क्या आपको पता है,अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ? इस्लाम की पहली अज़ान किसने दी?  आज हम आपको इस पोस्ट के द्वारा बताएंगे की "अजान का मतलब " क्या होता है ,और उसका जवाब देने की फजीलत क्या होती है । नाजरीन हम आपको इस पोस्ट के द्वारा अज़ान की एक-एक खुबीया बताएंगे । चलिए जानते हैं सबसे पहले " अज़ान "क्या है ? अजान का क्या मतलब होता है ? अज़ान -  इस्लाम मे मुस्लिम अपने समुदाय के लोगों को दिन भर की पांचो वक़्त की नमाजो को पढ़ने सभी को बुुलाने के लिए जो ऊँचे स्वर में या ऊँची आवाज़ में जो शब्द कहता है उसे "अज़ान " कहते हैं । और अज़ान देकर लोगो को मस्जिद की तरफ बुलाने वाले को " मुअज्ज़िन " कहते हैं । अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ? अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ? मदीना शरीफ में बाजमात (एक साथ/इकटठा होकर) नमाज़ पढने के लिए जब मस्जिद बनाई गई तो लोगों को एक साथ एक वक़्त पर और एक जगह पर बुलाने की जरूरत मेहसूस हुई। इस जरूरत को पूरा करने के लि