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अज़ान का मतलब और अजान की फजीलत क्या है?? अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ?

¤अज़ान का मतलब और अजान की फजीलत¤
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अज़ान का मतलब और अजान की फजीलत

क्या आपको पता है, अज़ान का मतलब और अजान का जवाब देने की फजीलत क्या है ?क्या आपको पता है,अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ? इस्लाम की पहली अज़ान किसने दी?  आज हम आपको इस पोस्ट के द्वारा बताएंगे की "अजान का मतलब " क्या होता है ,और उसका जवाब देने की फजीलत क्या होती है । नाजरीन हम आपको इस पोस्ट के द्वारा अज़ान की एक-एक खुबीया बताएंगे । चलिए जानते हैं सबसे पहले "अज़ान "क्या है ?
  • अजान का क्या मतलब होता है ?
अज़ान- इस्लाम मे मुस्लिम अपने समुदाय के लोगों को दिन भर की पांचो वक़्त की नमाजो को पढ़ने सभी को बुुलाने के लिए जो ऊँचे स्वर में या ऊँची आवाज़ में जो शब्द कहता है उसे "अज़ान " कहते हैं ।
और अज़ान देकर लोगो को मस्जिद की तरफ बुलाने वाले को " मुअज्ज़िन " कहते हैं ।

  • अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ?
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  • अज़ान की शुरुआत कैसे हुई ?
मदीना शरीफ में बाजमात (एक साथ/इकटठा होकर) नमाज़ पढने के लिए जब मस्जिद बनाई गई तो लोगों को एक साथ एक वक़्त पर और एक जगह पर बुलाने की जरूरत मेहसूस हुई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने सभी सहाबा(उनके साथी/उनके अनुयायी) से इस बारे में सलाह और मशवरा लिया, तो सभी ने अपने अलग-अलग मशवरे पेश किये।
किसी ने उन्हे मशवरा दिया की क्यों ना ईसाइयों की तरह नाकून(घंटी) बना लिया जाए ,जिससे लोग को नमाज बाजमात पढ़ने का संकेत मिले , किसी ने मशवरा दिया की क्यों ना यहूदियों के शंख कि तरह नरसंघा बनाया जाए, तो किसी ने मशवरा दिया कि नमाज के वक़्त किसी ऊँची जगह पर झंडा लगा दिया जाए या किसी ऊँची जगह पर आग जला दी जाए । लेकिन हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ये सभी तरीके पसंद नहीं आए।
जब मुसलमान मदीना मुनव्वरा नमाज के लिए आया करते तो नमाज के "वक्त का अंदाजा" करके एक साथ इकट्ठा हुआ करते, क्योंकि लोगों को एक साथ एक वक़्त पर और एक जगह पर बुलाने का कोई बेेहतर मशवरा नहीं मिल पाया था । इस परेशानी का हल निकलने में हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सभी सहाबा इकराम बहुत चिंतित थे । इसी बीच एक रात एक सहाबी जिनका नाम हजरत अब्दुल्लाह बिन जै़द को एक ख्वाब दिखा, जिसमें फरिश्तो ने उन्हें अजा़न और इक़ामत के लफ्ज बताए। हजरत अब्दुल्लाह बिन जै़द ने सुबह होते ही हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बरगह में जाकर ख़्वाब को उन्हें बताया, हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस ख़्वाब को अल्लाह-ताला की तरफ से सही जरीया बताया।
हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अब्दुल्लाह बिन जै़द से कहा कि तुम हजरत बिलाल को अज़ान और इसके लफ्जो की हिदायत कर दो,  उनकी आवाज़ बुलन्द और खूबसूरत भी हैं इसलिए वह हर नमाज़ के लिए इसी तरह अज़ान दिया करेंगे ।
। इस तरह हजरत बिलाल रजियल्लाहु अन्हु ने इस्लाम की पहली अज़ान दी।
  • अज़ान कैसे दी जाती हैं?
अब हम आपको बताते है कि अज़ान कैसे दी जाती हैं ।

अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अखबर
अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अखबर ।।

अशहदु अन लाइल्लाह इल्लाह  
अशहदु अन लाइल्लाह इल्लाह।।

अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल अल्लाह
अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल ‌अल्लाह ।।

हय्या अलस  सला 
हय्या अलस  सला ।।

हय्या‌  अल्ल फाला
हय्या‌  अल्ल फाला ।।

अल्लाहु अकबर ,अल्लाहु अकबर
लाइल्लाह इल्लल्लाह ।।
                          
                        नाज़रीन जब अज़ान होती है तो हमें उसका जवाब देना‌‌ चाहिए ऐसा करने से अज़ान देने वाले को जितना सवाब मिलता है । उतना ही सवाब अज़ान का जवाब
देने वाले को भी‌ मिलता है । एक हदीस मे आया है की 
अगर लोगो को अज़ान देने का सवाब पता चल जाए‌ तो  अज़ान देने के‌ लिए लडाई होने लगे । 
  • अज़ान का जवाब किस तरह देना चाहिए 
 
   "अज़ान  -  अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अखबर 
    जवाब  - अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अखबर  
    अज़ान - अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अखबर 
    जवाब -  अल्लाहु अकबर , अल्लाहु अखबर 
   
    अज़ान -   अशहदु अन लाइल्लाह इल्लाह     
    जवाब   -  अशहदु अन  लाइल्लाह इल्लाह   
      
     अज़ान -    अशहदु अन लाइल्लाह इल्लाह 
     जवाब  - अशहदु अन लाइल्लाह इल्लाह 

अज़ान - अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल अल्लाह
जवाब - अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल‌ अल्लाह

अज़ान - अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल ‌अल्लाह
जवाब  - अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल अल्लाह

अज़ान  - हय्या अलस  सला 
जवाब  - ला हावला वाला कुवाता इल्ला बिल्ला हिल आलीइल अज़ीम 
 
अज़ान  -   हय्या अलस  सला 
जवाब -    ला हावला वाला कुवाता इल्ला बिल्ला हिल आलीइल अज़ीम
     
अज़ान - हय्या‌  अल्ल फाला 
जवाब  - ला हावला वाला कुवाता इल्ला बिल्ला हिल आलीइल अज़ीम
   
अज़ान  - हय्या‌  अल्ल फाला 
जवाब -  ला हावला वाला कुवाता इल्ला बिल्ला हिल आलीइल अज़ीम

अज़ान - अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
जवाब - अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

अज़ान - लाइल्लाह   इल्लल्लाह   
 जवाब - लाइल्लाह   इल्लल्लाह"
   
इसके बाद अज़ान की दुआ पढ़िए । 
  • अज़ान के  बाद की दुआ •
अज़ान के  बाद की दुआ
  • अज़ान के  बाद की दुआ •
"अल्लाहुम्मा रबा हाज़िहिद दावतित ताम मह वस सलातिल काइमह आति मुहम्मदानिल वसीलता वल फ़जीलता वब अस हु मकामम महमूदा अल्लजी व अत्तह इन्नका ला तुख लिफुल मीआद "।।
                   जबिर बिन अब्दुल्लाह से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल्लल्लाह ताल वाले वसल्लम ने फरमाया जो "आदमी अजान के सुनने के बाद इस दुआ को पढ़ेंगा,तो उसे कयामत के दिन मेरी शिफाअत नसीब होंगी "। 

  • अजान का तर्जुमा (हिन्दी में) 

आइए नाजरीन हम आपको अजान का तर्जुमा यानी अजान का मतलब बताते हैं 
अजान -
"अल्लाह हू अकबर "
यानी 
अल्लाह सबसे बड़ा है इतना बड़ा है कि उसकी तारीफ की जा सके 
 
"अशहदु अन  लाइल्लाह इल्लाह"
  यानी 
मैं गवाही देता हूं की अल्लाह के अलावा कोई और खुदा नहीं

"अशहदु अन्ना  मोहम्मादुर रसुल अल्लाह"
 यानी 
हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम है। 
  
"हय्या अलस  सला"
 यानी 
नमाज के लिए जल्दी करो।

"हय्या‌  अल्ल फाला "
यानी 
कामयाबी की ओर बढ़ो।

"अल्लाहु अकबर अल्लाह"
यानी 
मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह सबसे बड़ा है।

 "लाइल्लाह   इल्लल्लाह"
 यानी 
अल्लाह के अलावा कोई और खुदा नहीं है। 

                 • .अज़ान की फजीलत क्या है? •

अबू हुरैरा से रिवायत है रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु ताला अलैहि वसल्लम ने फरमाया ,जब नमाज के लिए अजान दी जाती है । तब शैतान गूंज मारता हुआ पीठ फेरकर भागता है। ताकि अजान की आवाज ना सुन सके । और अजान खत्म होते ही शैतान नमाजी को बहका ने आ जाता है । और कहता है यह बात याद कर वह बात याद कर और यहां तक की नमाजी अपनी नमाज भूल जाता है।
इस पर शईद खुदरी से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम से सुना आप फरमा रहे थे कि अजान देने वाले की आवाज को जिन और इंसान या कोई और इंसान सुनता है वाह उसके लिए  कयामत के दिन गवाही देगा ।
अनस रजि से रिवायत है हम जब नबी सल्लल्लाहो ताला ए वसल्लम के साथ किसी से जिहाद करते तो हमला न करते यहां तक कि सुबह हो‌ जाए । फिर अगर अज़ान सुन लेते तो हमले का इरादा छोड़ देते और अगर अज़ान न सुनते तो ऊनपर हमला करते । 
                   आइए जानते हैं की अजान के वक्त खामोश नहीं रहने से क्या नुकसान और अजान के वक्त उसे अच्छे से सुनने के क्या फायदे हैं तो चलिए दोस्तों हम आपको हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम ने क्या फरमाया बताते हैं ।

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम ने फरमाया-
1. जो शख्स अजान के वक्त खामोश नहीं रहता उसे मौत के वक्त कलमा नसीब नहीं होगा ।
2 .जो शख्स अजान का एक जुमला सुनकर उसे दोहराता है तो  उसके आमालनामे  मे 20,00,000
 नेकिया  लिख दी जाती है । 
3. जो कोई  दूसरों को बताएं तो उसके आमालनामे में 30,00,000 नेकिया लिख दी जाती है । 

नाजरीन हम आपको बता दें की कयामत के दिन तो इन्सान एक - एक  नेकियों के लिए तरसेगा। 
तो क्यो न आप और हम इस पोस्ट को फॉरवर्ड करके कुछ नेकिया अपने आमालनामे मे दर्ज कराएं । 

जो कोई  दूसरों को बताएं तो उसके आमालनामे में 30,00,000 नेकिया लिख दी जाती है । 

नाजरीन हम आपको इसके अलावा यह भी बताना चाहेंगे की हजरत सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम फरमाते हैं -
1. रोना दिल को रोशन करता है । 
2 .मां और बाप की खिदमत दोनों जहां मैं काम आता है ।
3. बोलना चांदी की तरह है और सुनना सोने की तरह है ।
4. किसी से मिलते वक्त मुस्कुराना सदका है। 
5. गुनाहों से बचना सबसे बड़ी नेकी  है । 
6. हमेशा सच बोलो ताकि तुम्हें कसम खाने की जरूरत ना पड़े ।
7. औलाद के लिए जब भी कोई चीज लाओ तो पहले लड़की को दो उसके बाद लड़के को ।
8. दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक जवानी का गुस्सा है उससे बचो। 
9. किसी का दिल मत दुखाओ क्योंकि तुम भी दिल रखते हो।
10 . हया शर्म की कशिश खूबसूरती से ज्यादा होती है। 
 

"तो नाजरीन हमने आपको अजान का तर्जुमा और अज़ान से जुड़ी सभी बातो को बताया, हमें यकीन है । कि आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों में फॉरवर्ड करेंगे और हमारे और अपने नेकीनामे में और नीकिया दर्ज कराएंगे । आमीन।।"

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