Eid kya hai? Eid kyun banai jati hai?
ईद क्या हैं? ईद क्यों बनाई जाती है?
हर सच्चे मुसलमान को ईद का दिल से बहुत इंतजार होता है, खास कर रमजान के बाद आने वाली ईद उल फितर का तो कुछ ज्यादा ही, क्योंकि एक महीना पूरा रोजा रखने की बाद उन्हें अल्लाह का शुक्र करने के लिए एक त्योहार ईद मिलता है
जो हर मुस्लिम सच्चे दिल से बहुत खुशी से बनाता है।
चलिए पहले जानते हैं कि ईद क्या है?
ईद /ईद-उल-फितर- मुसलमान रमजान उल-मुबारक केेेेेेेे महीनेे के बाद एक मजहबी खुशी का त्यौहार बनाते हैं जिसे ईद उल फितर कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रमम को मनाया जाता है। ईद इस्लामिक कैलेंडर के दसवें महीने और शवाल के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के सभी महीनों की तरह यह भी चांद दिखनेेेे पर बनाया जाता है। ईद का त्यौहार मोहब्बतों से भरा और भाईचारेे को बढ़ावा देने वाला त्यौहार है। रमजान के बाद और ईद से पहले मुसलमान जरूरतमंदों और गरीबों के लिए एक मुश्त रकम निकालतेे है, जिसे "जकात" कहते हैं। इस त्यौहार में सभी बड़े छोटे, गरीब और बेसहारा लोगों का सबका ख्याल रखा जाता है। इस त्यौहार को सभी आपस में मिलकर बनाते हैं और अल्लाह से सबकी खैरो व बरकत के लिए दुआ मांगते हैं। पूरी दुनिया में ईद बहुत ही खुशी के साथ मनाई जाती है।
क्यों मनाई जाती है कि ईद-
पहली ईद-उल-फितर पैगंबर मोहम्मद ने सन् 624 ईसवी में जंग-ए -बद्र के बाद मनाया था। पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने भद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी उनके विजय होने की खुशी में यहां त्यौहार मनाया जाता है !
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कैसे मनाई जाती है मीठी ईद......।।।
इस दिन घरों में खासतौर पर कीमामी सेवाईया, शीर और दूध वाली सेवइयां बनाई जाती है इन्हें एक-दूसरे के घरों में बांटा जाता है बच्चों को ईदी या तोहफे दिए जाते हैं नए- नए कपड़े पहने जाते हैं! वहीं, रोजेदार मस्जिद जाकर ईद की नमाज अदा करते हैं!
..... दो ईद....
Eid kya hai? Eid kyun banai jati hai? ईद क्या हैं? ईद क्यों बनाई जाती हैं? |
।।। इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है पहली मीठी जिसे रमजान महीने की आखिरी रात के बाद मनाया जाता है दूसरी रमजान महीने के 70 दिन बाद मनाई जाती है इसे बकरा ईद कहते हैं बकरा ईद कुर्बानी की ईद माना जाता है। पहली मीठी ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है और दूसरी बकरा ईद को ईद-उल-जुहा ( Eid-ul-Adha) कहा जाता है। ईद- उल- फितर एक रूहानी महीने में कड़ी आजमाइश के बाद रोजेदारों को अल्लाह की तरफ से मिलने वाला रूहानी इनाम है , ईद सामाजिक तालमेल और मोहब्बत का मजबूत धागा है। यह त्यौहार इस्लाम धर्म की परंपराओं का आईना है एक रोजेदार के लिए इसकी अहमियत का अंदाजा अल्लाह के प्रति उसकी कतज्ञा से लगाया जा सकता है..... कुरान के अनुसार पैग़ंबरे इस्लाम ने कहा है कि जब अहले इमान रमजान के पवित्र महीने के ऎतारामो से फारिग हो जाते हैं और रोजो व नमाजो और उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं, तो अल्लाह एक दिन अपने उन इबादत करने वाले बंदों को बक्शीश वा इनाम से नवाजता है इसलिए इस दिन को 'ईद' कहते हैं और इसी बक्शीश वा इनाम के दिन को ईद उल फितर का नाम देते हैं। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं इस महीने के खत्म होते ही १० वा माह शव्वाल शुरू होता है । इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है इस रात का इंतजार वर्ष भर खास वजह से होता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही इस्लाम के बड़े त्योहार ईद -उल -फितर का ऐलान होता है। इस तरह से यह चांद ईद का पैगाम लेकर आता है । इस चांद रात को अल्फा' कहा जाता है ।
जमाना चाहे जितना बदल जाए लेकिन त्योहार हम सभी को अपनी जड़ों की तरह वापस खींच लाता है और यह अहसास कराता है कि पूरी मानव जाति एक है और इंसानियत ही उनका मजहब है।
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